World Lupus Day 2023: जानें क्या है लुपस; लापरवाही हो सकती है जानलेवा; हल्के में न लें इस बीमारी को
World Lupus Day 2023 : Make it Visible
चंडीगढ़ : 10 मई, 2023 : (कार्तिका सिंह/अर्थ प्रकाश) :: World Lupus Day 2023 : Make it Visible
क्या कभी आपने भी हल्के बुखार और शरीर पर होने वाले रैशेज को हल्के में लिए है? या फिर कभी शरीर किसी हिस्से में सूजन या अगर हाँ, तो ये आपके लिए सम्भलने का समय है। लुपस भी इसी तरह की नज़रअंदाज़ कर दी जाने वाली अवस्थाओं का एक क्रोनिक रूप है। लुपस एक ऑटो इम्यून डिसीज़ है। जो कि शरीर के हर हिस्से को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही ये एक इंफ्लेमेटरी बीमारी भी है, जिस के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। यह बीमारी इतनी गंभीर होती है कि इंसान के मस्तिष्क, त्वचा, किडनी के साथ ही और भी कई अंगों को प्रभावित करती है। ये रोग किन कारणों से होता है, इसके बारे में अभी तक सही से पता नहीं चला है, लेकिन कुछ फैक्टर्स जैसे हार्मोंस, जीन्स, वातावरण में फैले धुल कण ल्यूपस होने की संभावनाओं को बढ़ाते हैं।
लुपस रोग :
ये ऑटो इम्यून बीमारी तब होती है, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानि कि इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर के हेल्थी टिश्यूज और सेल्स पर अटैक करके उन्हें डैमेज करना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही त्वचा पर लाल चकत्ते, एवं अलग-अलग हिस्सों में सूजन के साथ ही दर्द आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। सामान्य तौर पर इसके लक्षण बेहद आम होने के कारण इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता की काफी कमी है। जिस वजह से इसे कई बार अनदेखा या इगनोर कर दिया जाता है। लेकिन इस नज़रअंदाज़ी के कारण गंभीर स्तिथि का सामना भी करना पड़ सकता है।
लुपस के लक्षण :
इसमें शरीर में किसी भी तरह लक्षण हो सकते हैं, जो कि दिखने में बिल्कुल आम से हो सकते हैं, इसी वजह से इसे डिटेक्ट करना मुश्किल हो जाता है। लुपस के मरीज़ के चेहरे पर एक ख़ास तरह के रैशेज होते हैं, जो कि देखने में बटरफ्लाई जैसे लगते हैं। इसी वजह से इसे बटरफ्लाई रैश भी कहते हैं। जो कि इसकी पहचान का एक मुख्य पहलु है, इसके इलावा अन्य लक्षण ये हो सकते हैं :
-तेज़ बुखार
-साँस लेने में तकलीफ होना
-बुखार एवं थकावट महसूस होना
-सिरदर्द होना
-याददाश्त में कमी होना
-ब्लड में प्लेटलेट्स की मात्रा कम होना
-प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर हाई होना
-बाल झड़ना
-चेहरे पर लाल चकत्ते या दाद होना
लुपस होने के कारण :
इस बीमारी के कारणों का आज तक सही तरीके से पता नहीं चल सका है। पर माना जाता है कि
-हवा में मौजूद धूल कण
-एस्ट्रोजन का बढ़ना
-हॉर्मोनल दिक्कतें
-ख़ास किस्म की दवाएं लेना
-स्मोकिंग
-तेज़ धूप, इस रोग में एक ट्रिगर का काम करती है। जिस वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही टिश्यूज और सेल्स पर अटैक करना शुरू कर देता है।
सेलिना गोमेज़ (Selena Gomez) भी जूझ रही है लुपस से :
फेमस अमेरिकन सिंगर एवं एक्ट्रेस सेलिना गोमेज़ भी लुपस से ग्रस्त हैं। उन्होंने साल 2015 में इस पर खुल कर बात की थी। उन्होंने इसे छुपाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने अपने फैंस कि बताया कि ये बीमारी बहुत गंभीर है और लम्बे समय तक इस से लड़ना पड़ता है।
जानलेवा है लुपस : हर 1000 में से एक भारतीय लुपस से ग्रस्त
लुपस एक रेयर ऑटो इम्यून डिसीज़ है, जो कि शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करता है। जल्दी डिटेक्ट न होने की सूरत में ये इंसान के लिए जानलेवा भी हो सकता है। लुपस के कारण फेफड़े, जॉइंट्स, ह्रदय एवं मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। अभी भारत में ये रोग काफी रेयर है, हर हज़ार में से 1 भारतीय लुपस से ग्रस्त है। लेकिन अभी भी इसके बारे में जागरूकता कम है।
IDPD के सह-अध्यक्ष डॉ अरुण मित्रा से हुई एक ख़ास बातचीत
वहीं दूसरी तरफ़ IDPD के सह-अध्यक्ष डॉ अरुण मित्रा से लुपस पर हुई टेलिफ़ोनिक बातचीत में उन्होंने बताया कि लुपस रोग ऑटो इम्यूनों इफ़ेक्ट है। सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से ये बढ़ेगा ही बढ़ेगा। अगर शुरूआती दौर में ही डिटेक्ट हो जाये तो कि इसका इलाज ज़्यादा आसान होने के साथ ही साइड इफेक्ट्स कम हो जाते हैं। आमतौर पर डॉक्टर्स द्वारा स्टेरॉइड्स तथा अन्य इम्मुनों सप्रेस्सेंट ड्रग्स दी जाती हैं। इन स्टेरॉइड्स से आगे चल कर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
इसके साथ ही डॉ मित्रा ने बताया कि ऑटो इम्यून डिसीज कभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं की जा सकती। मरीज़ को दवाइयों का सहारा लेना ही पड़ता है। लुपस भी शुरूआती स्टेज पर मैनेज करना आसान है, एवं किया जा सकता है, लेट डिटेक्शन की सूरत में ये रोग दूसरे अंगों तथा शारीरिक हिस्सों पर प्रभाव डाल सकता है। लेकिन लोगों को इस रोग के बारे में बहुत ही कम जानकारी है। इसलिए मेडिकल कंसल्टेशन बहुत ज़रूरी है।
आर्थिक तौर पर लुपस का इलाज :
डॉ मित्र ने कहा कि लुपस के इलाज के लिए दवाइयां ज़िन्दगी भर भी लेनी पड़ सकती है। स्टेरॉइड्स जैसे डग्स कण्ट्रोल दामों पर मिल तो जाते हैं, लेकिन लाइफलॉन्ग इलाज चलने के कारण घर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दवाइयों पर खर्च होगा। वही केंद्र सरकार के हेल्थ बजट में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष सिर्फ 1543/- रूपए और उस में अगर राज्य का बजट भी जोड़ लें तो कुछ 4500/- रूपए के तक का ख़र्च एक इंसान के लिए होता है। वहीँ दूसरी तरफ़ क्यूबा में ये खर्चा लगभग 25000/- रूपए एवं इंग्लैंड में 1 लाख 65 हज़ार तक का खर्चा एक इंसान के लिए रखा जाता है। लेकिन यहाँ इलाज की सुविधाएं पूर्ण तौर पर उपलब्ध न होने के कारण ही आम इंसान के इलाज के खर्च उठाने मुश्किल हैं।
पुरूषों की मुकाबले महिलाओं को अधिकतर होता है लुपस :
लुपस के ज़्यादातर मामले किशोरावस्था से लेकर 30 आयु वर्ष की युवा महिलाओं में सामने आता है। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा होते हैंI जो कि इस तरह के ऑटो इम्यून रोगों के फैलने के लिए एक रास्ता बनाता है।
वर्ल्ड लुपस डे :
हर साल 10 मई को वर्ल्ड लुपस डे मनाया जाता है। इस रोग के बारे ही कम जनसख्या को जानकारी है। इसके लक्षणों, इलाज एवं बचाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ये दिन मनाया जाता है। आमतौर पर 15 वर्ष से लेकर 44 वर्ष के लोगों को ये रोग होता है। वक़्त रहते इलाज न होने पर ये गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए सही वक़्त पर पता लग जाने पर इसके इलाज और अंगों को होने वाली क्षति से बचा जा सकता है।
ध्यान दें ल्यूपस कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो छूने से फैलती है और न ही यौन संबंध बनाने से। बस यह बीमारी शरीर के जिस भी भाग पर होती है उसे पूरी तरह से डैमेज कर सकती है।
पर्पल डे :
वर्ल्ड लुपस डे को पर्पल डे के नाम से भी जाना जाता है। पर्पल रंग उम्मीद का रंग है। इस विशेष रंग को ही इसलिए इस दिन के लिए चुना गया क्यूंकि पर्पल रंग लुपस के प्रति जागरूकता को दर्शाता है। लुपस फाउंडेशन ऑफ़ अमेरिका ने इस पर्पल रंग को साल 1977 में अपने आधिकारिक रंग किए तौर चुना और तब से ही ये रंग लुपस से जूझ रहे लोगों के लिए एक उम्मीद का काम कर रहा है।
वर्ल्ड लुपस डे 2023 :
इस वर्ष 2023 के लिए वर्ल्ड लुपस डे का थीम है - मेक लुपस विज़िबल “Make Lupus Visible” है। इसका मुख्य उद्देश्य लुपस के डिटेक्शन के प्रति जागरूकता फैलाना एवं इसके मनोवैज्ञानिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिणामों को सामने लाना है। इसके साथ ही ये अभियान WHO द्वारा लुपस को वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता की मान्यता देने का आह्वान करेगा।